International Women Day 2024
International Women Day News : International Women Day के पूर्व फेडरेशन आफ सीड इंडस्ट्री आफ इंडिया (एफएसआइआइ) और फोरम फार इंडियन जर्नलिस्ट्स आन एजुकेशन, एनवायर्नमेंट, हेल्थ एंड एग्रीकल्चर (फिजीहा) द्वारा रखे गए विशेष कार्यशाला ‘ट्रांसफार्मिंग एग्रीकल्चर: वीमेन, टेक्नोलाजी एंड सस्टेनेबल ग्रोथ’ में वक्ताओं ने महिलाओं किसानों को टैकनोलजी से समृद्ध करने पर बात की। चर्चा में मालवा-निमाड़ क्षेत्र की महिला किसानों ने खेती से जुड़े अपने अनुभव साझा किए।
विशेषज्ञों का मानना महिलाओ का योगदान अहम
International Women Day News : भारतीय कृषि में महिलाएं कई चुनौतियों का सामना कर रही हैं, जैसे कि सीमित इनपुट, बाजार, टैक्नोलॉजी, प्रशिक्षण, और ऋण की पहुंच, साथ ही भूमि पर मालिकाना हक और कम आय। हालांकि इन चुनौतियों के बावजूद महिलाएं भारतीय कृषि में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए हमें महिला अधिकारों को बढ़ावा देने वाली नीतियों, संसाधनों का सुधार, और महिलाओं के योगदान को महत्वपूर्ण मानना होगा। इससे ही हम एक अधिक और स्थायी कृषि की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं, विशेषज्ञों ने कहा
कृषि क्षेत्र में महिलाओ के लिए काफी चुनोतियाँ
International Women Day News : कृषि में महिलाओं की भूमिका पर चर्चा करते हुए, एफएसआइआइ की निदेशक और कोर्टेवा एग्रीसाइंस की सरकारी एवं उद्योग मामलों की निदेशक (एशिया प्रशांत) अनुजा कादियान ने कहा, “कृषि क्षेत्र में महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान होने के बावजूद, ग्रामीण क्षेत्र में उन्हें किसान के रूप में पहचाना जाना चाहिए, लेकिन अक्सर उन्हें मुख्य रूप से मजदूर के रूप में देखा जाता है। कृषि क्षेत्र में कार्यरत पुरुषों की तुलना में, महिलाओं की आमदनी में भी अधिक अंतर है। यह अंतर जलवायु परिवर्तन के कारण और बढ़ रहा है, जो किसान महिलाओं के लिए और अधिक चुनौतीपूर्ण बना रहा है।”
महिला किशानो का सम्मान
International Women Day News : कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी एटीएमए इंदौर की परियोजना निदेशक शार्ली थामस ने बताया कि एटीएमए ने महिला किसानों को नई कृषि प्रौद्योगिकी का प्रयोग करने एवं समर्थ बनाने के लिए कड़ी मेहनत की है, ताकि उन्हें खेती को सुगम और लाभकारी बनाने में मदद मिले। कार्यशाला के दौरान, उन महिला किसानों को सम्मानित किया गया जो खेती में तकनीकों का कामयाबी से इस्तेमाल कर रही हैं। इन महिलाओं ने अपने प्रवासी मित्रों को भी प्रेरित किया है, ताकि वे भी नई तकनीकों को अपना सकें और अपनी आमदनी में वृद्धि हो।
काशी में 7000 महिला रक्तदाता हैं, जिनमें 55 ने अपनी आंखें दान की हैं, 40,000 गाड़ियों की मालकिन भी महिलाएं हैं। काशी में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी हर प्रदेश में बढ़ रही है। उनकी शक्ति प्रदर्शन कि मिसाल है पिछले पांच सालों में 9,295 महिलाओं ने काशी में ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त किया है और सड़कों पर अपनी कलाएं दिखा रही हैं।
14 महिला न्यायिक
सिविल कोर्ट में 14 महिला न्यायिक अधिकारी हैं और यहाँ 300 महिला वकील भी रोज़ाना केसों की जिम्मेदारी निभाती हैं। इसके अलावा 300 और महिला वकील हैं जो सेंट्रल और बनारस बार एसोसिएशन की सदस्यता रखती हैं।
• रक्तदान: वाराणसी में एक साल में 43000 लोगों ने अपना रक्त दान किया है, जिसमें से 7000 महिलाएं भी शामिल हैं। पिछले साल रक्तदान करने वालों की संख्या 38 हजार थी, जिसमें से केवल 5500 महिलाएं थीं।
• नेत्रदान: 2023-24 में, 100 लोगों ने अपनी आंखों का दान किया, जिसमें से 65 महिलाएं भी शामिल थीं। पिछले साल, केवल 50 महिलाएं ही नेत्रदान कर रही थीं। नसबंदी के मामले में, 2023-24 में 8,511 महिलाएं ने यह कदम उठाया, जबकि सिर्फ 237 पुरुष थे। पिछले साल, 2022-23 में, 9,263 महिलाएं ने नसबंदी की थी और सिर्फ 98 पुरुष थे। इन महिलाओं में, नगरीय एवं शिक्षित महिलाओं का प्रतिशत 98 है।
• वृद्धाश्रम : जिले में दो वृद्धाश्रमों में 60 महिलाएं और 41 पुरुष रहते हैं। 2021 में, महिलाओं की संख्या 52 थी, और इसके बाद दो सालों में इसमें 8 महिलाएं बढ़ गई हैं।
काशी में महिलाओं की भूमिका में बढ़ोतरी
International Women Day News : “काशी की नगरी में प्रबल नारी की भूमिका तेजी से बढ़ रही है। परिवार में महिलाओं पर निर्भरता की वजह से, जमीन और वाहनों की स्वामिनी बनने की गणना में भी वृद्धि हुई है। पिछले पांच सालो में काशी में 9,295 महिलाएं ने ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त किया है और सड़कों पर अपनी कलाएं दिखा रही हैं। शहर में 40 हजार दो-और-चार पहिया वाहनों की मालकिन हैं जो महिलाओं के नाम पर दर्ज हैं।
वाराणसी में महिलाओं की ज़मीन और संपत्ति को लेने का क्रेज भी तेजी से बढ़ रहा है, और इसका प्रतिशत भी बढ़ता जा रहा है। वर्ष 2021-22 में 18,102, अगले वर्ष 2022-23 में करीब 25% की वृद्धि हुई और 22,665 महिलाएं नाम बैनामे होकर संपत्ति की मालकिन बनीं। यह संख्या 2023-24 में 24,221 पहुंच गई है। इस दौरान, 90 दानदाताओं में 26 महिलाएं शामिल हैं, जिन्होंने देहदान के कठिन निर्णय में भाग लिया हैं। महिलाओं की शिक्षा में भी सुधार हुआ है और पांच वर्ष पहले 71.34% से बढ़कर शिक्षा दर 75.55% पर पहुंच गई है।”
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